Monday 31 October 2011

Deepawali

दीपावली पर दिल से ढेरों शुभकामनायें.

दीपावली यानि दीपों कि अवली यानि दीपों कि पंक्ति. दीपावली अमावास के दिन आती है. अमावास जो अन्धकार का प्रतीक है. अन्धकार जिसका नाम आते ही डर और निराशा ध्यान आते है लेकिन दीपों कि रोशनी इस अमावास को ऐसा बना देती है कि पूर्णिमा भी लजा जाए.

दीपावली का यह पावन त्यौहार रूपक है हमें वापस याद दिलाने के लिए कि हमें अपने मन के अन्धकार को मिटाने  के लिए भी जागृति (Awareness) का दीपक लगाना होगा. अन्धकार चाहे कितना ही घना क्यूँ न हो,कितना ही फैला क्यूँ न हो बस रोशनी कि एक किरण ही काफी होती है.

और फिर जीवन - पथ  के हर पायदान पर हम जागृति का दीपक लगाते जाएँ हमारा हर दिन खुशियों की रोशनी से भर जाएगा.
यही ईश्वर से मेरी प्रार्थना है.

उत्सव मनाने के लिए अवकाश चाहिए, मुझे भी अगले सप्ताहांत की अनुमति दे. चलिए, फिर हम अपने क्रम को इसी विषय से पुनः शुरू करेंगे की जीवन में  अवकाश क्यों और कितना जरुरी है.

आपका
राहुल.....

No comments:

Post a Comment