Saturday 3 March 2012

Life is Beautiful




जीना इसी का नाम है 




एक बार मेरे प्रिय लेखक ऐलन कोहेन अपने ही शहर के ' ईस्ट माउइ रिफ्यूज ' केंद्र को देखने गए. यह केंद्र लाइलाज समझी जाने वाली बीमारीयों, सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल या किसी और वजह से हुआ बेसहारा पशु - पक्षियों के इलाज और सेवा में समर्पित है. इसे एक दम्पति सिलवान और सूजी चलाते है. इस फार्म में उस समय करीब 400 पशु -पक्षी थे.
ऐलन जब वहाँ पहुंचे तो उनका स्वागत सिलवान और ऑस्ट्रलियन शीप डॉग ने किया जो अँधा था. फार्म में घूमते हुआ वो उस बिल्ली से भी मिले जो एड्स से पीड़ित थी.सिलवान ने उसके जख्मों पर एंटी - बायोटिक लगते हुआ बताया की ये दवाईयाँ उस पर लागू हो गयी है और उसकी तबियत तेजी से सुधर रही है.
फार्म पर घूमते -घूमते ऐलन ने अपने प्रिय पक्षी तोते के बारे में पूछा तो सिलवान उन्हें अपने ऑफिस में ले गए जहाँ छोटे - छोटे कार्डबोर्ड के खानों में रखे पक्षियों को सूजी आईड्रोपर से खाना खिला रही थी. वहाँ उसने ऐलन को ब्लू से मिलवाया.
सिलवान ने बताया कि इसके मालिक इसकी सुन्दरता देखकर इसे ले तो आये लेकिन उन्हें तोते का रख - रखाव नहीं आता था. उन्होंने उसे अलमारी में बंद कर दिया. घुप्प अँधेरे में तीन साल बंद रहने कि वजह से धीरे - धीरे उसके सारे पंख चले गए लेकिन अब इस खुले वातावरण में रहते - रहते उसके सारे पंख वापस आ गए.

ईश्वर या प्रकृति ने हम सभी को असीमित क्षमताएं और असीमित संभावनाएं दी है बशर्ते हम उन्हें काम में लें वरना वे ताते के पंखों कि तरह गायब हो जाती है. यदि किसी कारण से गायब हो भी जाए तो भी घबराने कि कोई बात नहीं है क्योंकि खुले मन से हम कोशिश करें तो ताते के पंखों की ही तरह वे वापस मिल भी जाती है.

फार्म पर पूरा घूम लेने के बाद जब ऐलन ने सिलवान से पूछा की ये सब कैसे शुरू हुआ तो उसने बताया की सूजी शांति से मरने माउइ आई थी, उसे टर्मिनल कैंसर था और डॉक्टर्स जवाब दे चुके थे. यहाँ वह एक चीनी डॉक्टर से मिली जिसने जड़ी - बूटियां देते हुआ हिदायत दी की ये तब ही प्रभावी होंगी जब वो अपने आपको किसी ऐसे काम में व्यस्त कर ले जो उसे आत्मिक सुख और संतुष्टी दे.
यह तब की बात है जब हम पहले पहल मिले थे और पाया की हम दोनों को ही पशु - पक्षियों से बेहद लगाव है और यही हमारे प्रेम का कारण बना.

प्रेम एक दुसरे की आँखों में नहीं वरन  अपनी - अपनी  आँखों से दुनिया को एक ही तरह से देखते हुए जीवन - उत्सव का आनंद मनाने में होता है. प्रेम में वे ही है जो दुनिया को एक ही नज़र से देखते है.

वे लोग पेट शॉप से किसी  बीमार कुत्ते को लाते और उसका इलाज और सेवा करते और ठीक होने पर लोटा देते . धीरे - धीरे उनके जूनून की खबर आस पास के लोगो में फैलने लगी और अब तो लोग स्वयं बीमार और घायल पशु - पक्षियों को उनके पास छोड़कर जाने लगे.
सूजी को तो जैसे जीवन उद्देश्य मिल गया था; जितनी सेवा करती उतना ही उसका दर्द कम होता जा रहा था. कुछ महीनों बाद जब हम डॉक्टर के पास गए तो टूयमर जा चुका था और सिलवान ने ऐलन को बताया यह करीब तेरह साल पुरानी बात है.

जो काम सच्चा  आनंद और संतुष्टी दे वही हमारा जीवन उद्देश्य है और यही जीवन की सारी समस्याओं का उपचार भी.

जीवन आनंद और आत्मिक संतुष्टी की शुभकामनाओं के साथ.
आपका

राहुल......

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