Friday 15 February 2013

तुम्हें याद दिला दूँ



हजारों साल पुरानी बात है जब ईसाई धर्म अपने शैशव काल में था। इन दिनों उन लोगों को तरह-तरह से कुचला और रौंदा जा रहा था जो ईसाई धर्म की शिक्षाओं में विश्वास करने लगे थे। ऐसे ही एक व्यक्ति थे वेलेन्टीनस, जिन्हें ईश्वर के प्रेम पर अटूट विश्वास था। उन्हें लोगो को भड़काने के जुर्म में कैद कर लिया गया, उन पर मुकदमा चला और पहले से तय फाँसी की सजा सुना दी गई।

कैद के दौरान जेल के चौकीदार ने भांप लिया था कि यह व्यक्ति साधारण नहीं है। वह रोज अपनी अंधी बेटी जूलिया को शिक्षा-संस्कार के लिए उनके पास लाने लगा एक दिन जूलिया ने वेलेन्टीनस से पूछा, " क्या मैं कभी देख पाऊँगी?" वेलेन्टीनस ने जवाब दिया "बेटा ! दिल में प्रेम और परमात्मा में विश्वास हो तो सब कुछ संभव है।" वेलेन्टीनस की प्रेरणा पाकर उस क्षण जूलिया का ह्रदय परम और विश्वास से लबालब हो गया, जहां किसी आशंका की कोई गुंजाईश नहीं थी। उसी क्षण कुछ हुआ, और जूलिया के आँखों की रोशनी वापस लौट आयी। 

दूसरे दिन जब जूलिया वापस अपने गुरु से मिलने पहुँची तब तक उन्हें फाँसी के लिए ले जाया जा चुका था। हाँ, उसे अपने नाम एक पत्र जरुर मिला,-

         मेरी प्रिय जूलिया,

                   शायद हम वापस कभी न मिलें लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखना, मैं तुम्हें हमेशा 
                   प्रेम करता रहूँगा। तुम मुझे बहुत प्रिय हो। मैं हमेशा तुम्हारे पास हूँ, तुम्हारे दिल में 
                   ही तो रहता हूँ। मुझे तुम में पूरा विश्वास है। 

                                                                                                            तुम्हारा,
                                                                                                            वेलेन्टाईन

           .......... और ह्रदय के असीमित प्रेम ने वेलेन्टीनस को 'सेंट वेलेन्टाईन' बना दिया और जिस तरह उन्होंने अपने प्रेम और विश्वास का इज़हार जूलिया से किया वही याद रखने और उन्हें आदरांजलि देने के लिए हम हर साल यह दिन 'वेलेन्टाईन डे' के रूप में मनाने लगे।

यह दिन है एक-दूसरे को याद दिलाने का कि आपका प्रेम बिना शर्त है, यह विश्वास दिलाने का कि हर स्थिति में आप उनके साथ है और यह भरोसा दिलाने का कि आपको उनमें पूरा विश्वास है। आपको नहीं लगता यह अहसास ही काफी है व्यक्ति के लिए वह सब कर गुजरने के लिए जो साधारण स्थितियों में उसके लिए सम्भव ही नहीं। इसीलिए इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है। यह दिन उन लोगों को स्वयं से परिचय कराने का है जिनसे आप प्रेम करते है। आप अपनी भावनाओं का इजहार कर अपने प्रिय की मुलाकात उसकी असाधारणता से करवाते है।

अनाश्रित प्रेम और अखंडित विश्वास से अधिक पवित्र इस दुनिया में और कुछ नहीं। परमात्मा के प्रति इसी प्रेम और विश्वास ने जूलिया के आँखों की रोशनी लौटा दी। यदि हम अपने जीवन में अपने प्रियजनों को इसी प्रेम और विश्वास के लिए प्रेरित कर सकें, तो यह दुनिया निश्चित ही स्वर्ग से बेहतर होगी।


(दैनिक नवज्योति में रविवार, 10 फरवरी को प्रकाशित) 
आपका 
राहुल .............

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