हम प्रतिदिन अपने जीवन को और अच्छा एवं बेहतर बनाने की कोशिश में लगे है और इसके लिए भविष्य में आ सकने वाली तकलीफों - मुश्किलों का पहले से ही इंतजाम कर लेना चाहते है. इन तकलीफों और मुश्किलों का आकलन हम अपने भूतकाल,परिवेश,प्रचलित धारणाओं और हमारे प्रियजनों के भूतकाल के आधार पर कर लेते है. यह भी सच है की हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ जरुर अप्रिय घटता है ; इसी का नाम माया है लेकिन इस चक्कर में किसी के भी साथ में जो कुछ अप्रिय घटित हो चूका है उन सब से अपने आपको सुरक्षित करने की कोशिश में जुट हम अपने जीवन को बेहतर बनने की बजाय और तनावमय एवं डरा हुआ बना लेते है.
डा. वेन डब्लू डायर ने FEAR को बिलकुल ठीक विस्तारित किया है. False Evidences Appearing Real.
हम भूतकाल में हो चुके को भविष्य में हो सकने वाली धटनाओं का प्रमाण मान लेते है और अपना वर्तमान खराब कर लेते है. वास्तव में डर भूत या भविष्य में रहता है वर्तमान में इसका कोई स्थान नहीं होता.
इस पूरी आप - धापी में हम यह भूल जाते है की हम ईश्वर की स्वतंत्र अभिव्यक्ति है और हमारी असीमित संभावनाओं को अहम् सुरक्षा के नाम पर सीमित कर देता है.
सर्कस में हाथी को इसी तरह ट्रेन किया जाता है. बचपन से ही उसके पिछले पैर को रस्सी से बाँध देते है और इसीलिए वो एक घेरे में ही घूम पाता है. कुछ सालों बाद जब उसकी रस्सी खोल दी जाती है तब भी वह अपने घेरे से नहीं निकल पाता. डर वास्तव में हमारे दिमाग की उपज है इसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं.
जाने - अनजाने हम सब अपने लिए कोई न कोई घेरा बना ही लेते है और अपनी ही बनाई धारणाओं में कैद होकर रह जाते है. जीवन का आनंद लेने के लिए हमें सुरक्षा घेरे को तोड़ इस क्षण को सम्पूर्णता के साथ जीने की कोशिश करनी चाहिए. हमारी सच्ची अभिव्यक्ति दिल की आवाज़ पर चलने में है और ये अनजानी राहें घेरे के बाहर है.
कुछ नया करने से पहले हमारे मन में घबराहट या उद्विग्नता (Nervousness) का उपजना लाजमी है. यदि किसी काम को करने से पहले हमारे मन में हल्की सी घबराहट, थोड़ी सी उद्विग्नता भी नहीं है इसका साफ़ मतलब है की ये वो काम नहीं है जो हमें करने चाहिए. ये भावनाएं संकेत है इस बात का की जीवन में इस बार हम यही सब कुछ सीखने आये है.
पहले डर कर और फिर सुरक्षा के नाम पर स्वयं को कैद करने की बजाय लाख गुना बेहतर है जीवन-धारा के साथ बहें और आहत हो जाने के लिए तैयार रहें. रास्ते की ठोकरों से बचने के लिए चलना बंद कर देना कितना बेवकूफी भरा होगा.
भूतों को भविष्य के लिए छोड़ दे और वर्तमान में रहें; दिल की सुने और दिल से जियें.
आपका,
राहुल....
kyonki dar ke aage jeet hai
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