ये बात सही है कि आपका इष्ट कौन है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अन्ततः वह एक ही है।
लेकिन इसे थोड़ा समझना होगा,-
इष्ट वो महापुरुष जिन्हें दर्शन, निर्वाण, कैवल्य, आत्मज्ञान हुआ। ऐसा होने के बाद वे भी वही हो गए, शुद्धतम ऊर्जा। सच, इस मायने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन उन्होंने यह मंजिल अलग-अलग रास्तों पर चलकर पायी।
किसी ने भक्ति से, ध्यान से, तो किसी ने तपस्या से। किसी ने समर्पण से तो किसी ने शक्ति से।
आप भी पाएँगे कि कुछ रास्ते आपको सहज लगते हैं और कुछ रास्ते जिनके बारे में भी आप मानते हैं की वे भी आपको वहीं पहुँचायेंगे पर आपको अपने लिए उतने सहज नहीं लगते।
तो स्पष्ट है कि जिन रास्तों पर चलना आपको सहज लगता है उस पर चला वो महान व्यक्ति ही आपका इष्ट होना चाहिए जिसने उस पर चलकर अपने आपको अनुभव किया, कैवल्य प्राप्त किया।
(डायरी पन्ना)
लेकिन इसे थोड़ा समझना होगा,-
इष्ट वो महापुरुष जिन्हें दर्शन, निर्वाण, कैवल्य, आत्मज्ञान हुआ। ऐसा होने के बाद वे भी वही हो गए, शुद्धतम ऊर्जा। सच, इस मायने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन उन्होंने यह मंजिल अलग-अलग रास्तों पर चलकर पायी।
किसी ने भक्ति से, ध्यान से, तो किसी ने तपस्या से। किसी ने समर्पण से तो किसी ने शक्ति से।
आप भी पाएँगे कि कुछ रास्ते आपको सहज लगते हैं और कुछ रास्ते जिनके बारे में भी आप मानते हैं की वे भी आपको वहीं पहुँचायेंगे पर आपको अपने लिए उतने सहज नहीं लगते।
तो स्पष्ट है कि जिन रास्तों पर चलना आपको सहज लगता है उस पर चला वो महान व्यक्ति ही आपका इष्ट होना चाहिए जिसने उस पर चलकर अपने आपको अनुभव किया, कैवल्य प्राप्त किया।
(डायरी पन्ना)
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