अमर होने कि इच्छा बहुत आदिम है. हर व्यक्ति अपने जीवन में ऐसा कुछ कर गुजरना चाहता है कि वो हमेसा ही याद रखा जाए. पद, ज्ञान, पैसा, उद्देश्यपूर्ण दान और कई दूसरे ऐसे रास्ते है जिन्हें वह अपने होने को प्रमाणित और स्थायी करने के के लिए चुन लेता है.जीवन के संध्याकाळ में उसे यह सारी जुगत भी असफल होती दिखती है और वो इसलिए कि कहीं व्यक्ति अपने व्यक्त होने के मूल उद्देश्य को ही भूल बैठता है और वह है प्रेम को अनुभव करना. प्रेम कि अभिव्यक्ति और अनुभूति .
प्रेम यानि विशुद्ध प्रेम; वो शक्ति जो इस सृष्टी को चलायमान रखे है.
जो शक्ति इस सृष्टी को चलायमान रखे है, जो आपको और सभी को जीवित रखे है उसी कि निरंतरता ही तो आपको चिर स्थायी जीवन दे सकती है; आपको अमर बना सकती है. प्रेम वह एकमात्र भाव है जो आपको अमर बना सकता है. लोगो के दिल ही वो जगह है जहाँ आप स्थाई रूप से रह सकते है.
When you are dead,
seek for your resting place
Not in the earth,
but in the hearts of men.
- Rumi
किसी पर निर्भर रहना प्रेम नहीं है. प्रेममय होना तो वह है कि जब आप किसी से मिले तो ऐसे मुस्कराएँ कि अगले को अंदर तक भीगों दे, जिसके साथ हो तो इस अहसास के साथ कि दुनिया में वह ही व्यक्ति जिसके साथ आप यह क्षण गुजारना चाहते थे, किसी कि बात सुनें तो आपका पूरा ध्यान उस व्यक्ति कि बात और उसकी भावनाओं पर हों. लोगों के दिलों में रहना है तो उनके दिलों तक पहुचना होगा.
हम इसकी शुरुआत अपने बच्चों से कर सकते है. बच्चे जो प्रकृति प्रद्दत हमारी निरंतरता के सबूत है. दुनिया में कोई है तो वे हमारे बच्चे ही है जिनसे हम अखंडित प्रेम पा सकते है. जिनके हर काम में हम सुगंध के रूप में हमेशा विद्ध्यमान रह सकते है.
बच्चे हमें हमारी मूल प्रकृति जो कि निःसंदेह प्रेम ही है से पुनः पहचान कराने में सहायक होते है. हमारा काम तो इतना भर है कि हम हमारी मूल प्रकृति को पहचानने और फिर उसे विस्तार दें. इस जीवन यात्रा में टकराने वाले हर व्यक्ति को आत्मीयता के अनुभव का साधन बनाएं और इस तरह लोगों के दिलों में अपना स्थायी निवास ढूंढ़ लें; अमर हो जाएँ.
आपके विचार मुझे उन्नत करेंगे, प्रतीक्षा में;
आपका
राहुल....
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