पहाड़ी गाँव में रहती थी वो। रोजाना सुबह झरने से पानी लाना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था। एक गडरिए की तरह दोनों कन्धों पर एक लाठी और दोनों सिरों पर एक-एक घड़ा। अकेली जान को दिन भर के लिए इतना पानी काफी होता था। पर, उसमें से एक घड़ा थोड़ा रिसता था जिसे वो हमेशा अपने बायें हाथ की तरफ बाँधती थी। झरना दूर था और घर पहुँचते-पहुँचते घड़े में आधा पानी ही बचता। घड़े को बहुत ग्लानि होती। सोचता, कैसा हूँ मैं? कितना गया-गुजरा! जितना पानी ला पाने के लिए बना हूँ, उससे बड़ी मुश्किल आधा ही ला पाता हूँ। मैं चाहकर भी कभी दूसरे घड़ों जैसा नहीं हो पाऊँगा! क्या सोचती होगी अम्मा मेरे बारे में? ये तो ठीक है, वे हैं कोई दूसरी होती तो कभी का मुझे पटक चुकी होती। कैसा जीवन है मेरा! उनकी दया पर जिन्दा हूँ। इससे तो अच्छा हो उनसे पानी भरते हुए मैं किसी से टकरा जाऊँ, और वहीं बात खत्म।
ऐसा सोचते-सोचते दो साल बीत गए। ग्लानि कुण्ठा की गाँठ बन चुकी थी और एक दिन फूट पड़ी। उसने अम्मा से कहा, आप क्यों मुझे इतना सँभाले हुए हैं? फेंक क्यों नहीं देती कहीं? इस उम्र में इतनी मेहनत करती हो आप। मुझे भर, पूरा वजन उठाती हो और मैं घर पहुँचते-पहुँचते आधा रीत जाता हूँ। क्यों करती हो आप ऐसा? दायें वाला कितना अच्छा है। वैसा ही दूसरा बाजार से क्यों नहीं ले आती?
अम्मा हौले से मुस्करायी, बोली, क्या आते हुए तुमने कभी रास्ते पर ध्यान दिया है? तुम्हारी ओर कैसी फुलवारी होती है पर ऐसा दाँयीं ओर नहीं है। पता है क्यूँ? क्योंकि तुम में से पानी रिसता है। पिछले दो सालों से तुम रास्ते के बायीं ओर के पौधों को रोजाना पानी पिला रहे हो। तुम्हारी वजह से वो रास्ता आबाद, खुशगवार है और मालूम तुम्हें, ये जो रोज पूजा में ताजे-सुगन्धित फूल मैं चढ़ा पाती हूँ, उसकी वजह तुम ही हो। वरना इस उम्र में मैं कहाँ जाती फूल चुनने। तुम तो अब तक के सारे घड़ों में मुझे सबसे प्रिय हो। अब तो उस रिसते घड़े की आँखों में भी पानी था।
ये चीनी लोक-कथा मैंने कहीं पढ़ी, कितनी मार्मिक!
और इससे जो मैं समझा वो ये कि
रिसने में ही उस घड़े की सार्थकता थी। जिसे वो आज तक अपनी कमी और दुर्भाग्य समझता आया था वही उसकी खास बात थी। उसी वजह से तो वो अम्मा को इतना प्यारा था। उसका जीवन-उद्देश्य अम्मा के लिए ताजे-सुगन्धित पूजा के फूल जुटा पाना था और ये उसके रिसते रहने से ही सम्भव था।
तो, हम जैसे हैं ठीक हैं, यही हमारा होना है और जरुरी भी क्योंकि इसके बिना हमारा अपने उद्देश्यों को पूरा करना सम्भव नहीं। यही वो बात है जो हमें सबसे अलग करती है और हमारे अपनों की नजरों में चढ़ाती है। इसी वजह से ही हमारे जीवन में सुन्दरता है और हम प्रेम के लायक।
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