Sunday, 11 March 2012

हमारा जीवन हमारे हाथ





मैं इस स्तम्भ के सहारे एक यात्रा पर ले जाना चाहता हूँ जो हमसे हमारी पहचान करायें. किसी भी यात्रा की तरह यह भी जीवन के सिर्फ उसी मोड़ से शुरू हो सकती है जहाँ हम है. हम जीवन मैं जहाँ है जैसे है वह बिलकुल सही जगह है जहाँ से हम अपनी पसंद की जिन्दगी पा सकते है. हम बिलकुल ठीक है. तय करने भर की देर है हमारा जीवन ही हमारी अभिव्यक्ति बन जाएगा.

होता यह है की हमारा अहम् हमें यह विश्वास दिला देता है की जो कुछ भी हमें इस जीवन में भौतिक, मानसिक या आध्यात्मिक मिला है हम उससे ज्यादा के हकदार है और हम जहाँ भी है उसके लिए हमारा भाग्य या परिस्थितियाँ दोषी है.
भाग्य और परिस्थितियों की यह गुलामी हमें आज कैसे जियें को चुनने के प्रति लापरवाह बना देती है जिस पर वास्तव में हमारा कल टिका है.

वास्तव में हमारा आज भूतकाल में चुने विकल्पों का नतीजा है. हमने वो चुना जो हमारी समझ के हिसाब से समय, काल और परिस्थितियों के अनुरूप था. सच तो यह है की हमारा आज हमारी चेतना (कोंशियसनेस) और जागृती (अवेयरनेस) का दर्पण है और कल को बेहतर बनाने के लिए हमें आज अपनी चेतना और जागृती के स्तर को बढ़ाना होगा. बेहतर विकल्पों को चुन पाने के लिए अपनी समझ को विकसित करना होगा.

सच तो यह है कि अपने जीवन - अनुभवों के लिए सिर्फ और सिर्फ हम ही जिम्मेदार है. जिम्मेदारी का यह अहसास अपने आपको कोसने के लिए नहीं बल्कि मन में यह विश्वास जगाने के लिए है कि यदि में अपने अनुभवों के लिए स्वयं जिम्मेदार हूँ तो भविष्य में होने वाले अनुभवों को बेहतर बना पाना भी मेरे ही हाथ में है.

हम अपने जीवन कि तुलना स्कूल से कर सकते है जहाँ हमें पढाई पहली कक्षा से ही शुरू करनी होती है चाहें हम दाखिला किसी भी उम्र में क्यूँ न लें. जैसे - जैसे हम बड़ी कक्षाओं में आते है हमें अपने विषय - चुनाव करने होते है. हम जीवन में वही बनते है जिन विषयों को हमने सिखाना चुना था. बायलोजी का चुनाव कर कोई संगीतज्ञ नहीं बन सकता, डॉक्टर ही बनेगा लेकिन एक डॉक्टर ' आज ' संगीत सीखना चुन सकता है.

आईए, इस यात्रा कि शुरुआत इस अहसास के साथ शुरू करें कि जीवन में हम जहाँ है वह बिलकुल सही जगह है. हमें तो बस थोडा और चेतन होना है थोडा और जागृत होना है तो कल का आज से बेहतर होना निश्चित है.

आपका...
राहुल 

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